मेरा नाम राज है, गांधीनगर गुजरात का रहने वाला हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी प्रेमिका वैदेही की है। वैसे तो आज वो मेरे साथ नहीं है, क्योंकि वो अपनी माता पिता को दुःख पहुँचाना नहीं चाहती थी इसीलिए उसने मुझसे नाता तोड़ दिया।
बात तब की है जब दो साल पहले में अपनी कॉलेज के अंतिम साल में था तब वो मुझे एक सेमिनार में मिली थी, उसकी छोटी छोटी आँखों ने मुझमें उसके प्रति प्यार जगाया। पर उस सेमिनार में मैंने उससे बात नहीं की थी।
उसके एक महीने के बाद एक दिन अचानक वो मेरी कॉलेज के बाहर मिली तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसके साथ एक दूसरी लड़की थी, वो भी उस सेमिनार में थी। उसने मुझसे बात की और बाद में मेरी और वैदेही की दोस्ती हो गई। वैसे तो मैं उसे शुरु से ही चाहने लगा था पर कह नहीं पाया था।
एक दिन बड़ी मुश्किल से मैंने उसके सामने अपने प्यार का इजहार किया कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ पर उसने मना कर दिया और कहा कि यह नामुमकिन है।
बाद में मैंने उसे बहुत तरीकों से यह बताना चाहा कि मैं उसे सच्चा प्यार करता हूँ। आखिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि वो भी मुझे चाहने लगी है पर घर की स्थिति की वजह से वो डर रही है।
पर बाद में धीरे धीरे हम दोनों के प्यार का रंग एक-दूजे पर चढ़ने लगा और हम लोग बहुत करीब आ गये।
एक दिन एक बाग़ में मैंने उसे उसके चहेरे को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हम लोग एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। हम दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते थे, उस दिन से हम जब भी मिलते तो हम लोग चुम्मा-चाटी करते।
एक दिन एक पिक्चर के शो में मैंने उसके होंठ चूमते चूमते उसके गालों को चूमा बाद में गले पर आ गया और बाद में उसकी छाती पर आया, तब उसने एक टॉप पहना था तो उसने उस टॉप के बटन खोल दिए और उस वक़्त पहली बार मैंने उसके बोबे चूसे। उसको बहुत मजा आया।
उसके बाद मैं जब भी उससे मिलता तो उसके बोबे बहुत दबाता था।
एक बार जब मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने उसे अपने घर पे बुलाया और उसके अन्दर आते ही हम दोनों एकदूसरे में खो गये। बहुत चुम्मा चाटी और बोबे दबाना हुआ। फिर मैं उसको पलंग पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों में ही सेक्स करने लगा। उस समय मैंने अपने चड्डी में ही अपना माल निकाल दिया। उसके बाद हम दोनों नजर नहीं मिला सके पर उसके बाद हमारा प्यार और दोगुना हो गया।
उसके बाद जब उसका जन्मदिन आया तो मैंने उसे मिलने की योजना बनाई पर कुछ और काम आ जाने से उस दिन मैं नहीं मिल सका पर उसके दूसरे ही दिन मुझे मौका मिल गया। मेरे घर के सभी लोग बाहर जा रहे थे तो मैंने उसे अपने घर पर बुला लिया और साथ में यह भी कहा- मैं तुम्हें साड़ी में देखना चाहता हूँ।
तो थोड़ी ना-नुकर करने के बाद वो आई और अपने साथ एक बैग में साड़ी भी लेकर आई। उसके आते ही मैं उसे प्यार करने लगा और चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। बाद में वैदेही बोली- चलो अब मैं तुम्हारी पत्नी बन जाऊँ।
तो मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ जरूर !
वो उठ कर बाथरूम चली गई और दस मिनट बाद वो साड़ी पहन कर बाहर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। खुले बालों के साथ लाल साड़ी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैं तो उसे देखता ही रह गया, वो सचमुच में कमाल लग रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या मैं तुम्हारी मांग भर दूँ?
तो उसने शरमाते हुए हाँ कहा।
मैंने थोड़ा सिंदूर लेकर उसकी मांग में भर दिया और उसे अपनी बाहों में ले लिया।
तब उसने मुझसे कहा- राज, मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करने लगी हूँ, प्लीज़ मुझे अपनी पत्नी बना लो।
मैं उसे वहाँ से अपने कमरे में ले गया और अपने साथ अपने पलंग पर बिठाया और उसके होंठों को प्यार से चूसने लगा। वो भी उसमें मेरा साथ देने लगी। मैं उसे चूमते हुए अपने एक हाथ से उसके बोबे दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसे पलंग पर लिटाया और प्यार करने लगा।
वो धीरे धीरे गएम होने लगी थी। जब मैंने अपनी शर्ट उतार दी तो वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और कहने लगी- राज, मुझे प्यार करो ! बहुत ज्यादा प्यार करो !
फिर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी तो वो सिर्फ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में रह गई। वो बहुत शरमा रही थी तो मैंने उसे चूम लिया और पूछा- क्या मैं इसके आगे कुछ करूँ?
तो उसने हाँ कर दी और मैंने उसका ब्लाऊज़-पेटिकोट निकाल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। मैं उसको देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और उसे खूब चाटने और चूसने लगा। मैंने उसकी ब्रा निकाल दी तो दो उन्नत बोबे बाहर आये।
उसने कहा- ये लो अपने मेहनत का फल ! इतने बड़े आपने ही किये हैं।
उसकी यह बात सुनकर मैं उसके उरोज दबाने और चूसने लगा। फ़िर मैं उसके पेट को चूमता हुआ पेंटी तक आया और उसके ऊपर से ही वहाँ एक चुम्बन किया। उसमें से क्या खुशबू आ रही थी यार ! मैंने जल्द ही पेंटी हटा दी तो उसमें से एक प्यारी सी गुलाबी चूत के दर्शन हुए।
वैदेही उस समय बहुत शरमा रही थी तो मैं झट से चूत को चाटने और चूमने लगा तो वो बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई और मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने भी बड़े प्यार से उसकी चूत को चाटा और चूमा, और वो झड़ गई।
उसका सारा पानी मैंने चाट लिया।
मैं जब वहाँ से खड़ा हो रहा था तो उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी। तो मैंने अपना पेंट और अण्डरवीयर नीचे कर दिया तो उसने झटके से मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी। तो मैंने अपना लंड उसके होंठों पर रखा, तुरंत ही उसने उसको बड़े प्यार से चूमा और चूसने लगी। उसने बहुत देर तक चूसा और उसके बाद मैंने उससे कहा- चलो, अब पति पत्नी वाला काम करें !
तो वो तुरंत मान गई। मैंने उसे सीधा लिटाया और उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो चिल्लाने लगी और दर्द से कराहने लगी।
मैंने उसे प्यार से समझाया और चुम्बन करने लगा। उसके थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने पूरा जोर लगाते हुए उसके मुँह को अपने मुँह से बंद किया और एक तगड़ा झटका मारा और मेरा लंड मेरी वैदेही की चूत की जिल्ली फाड़ कर पूरा उसमें समा गया।
वो रोने लगी थी और कराह भी रही थी पर मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा और बाद में जब उसे थोड़ा ठीक लगने लगा तो मैं धीरे धीरे उसे झटके मारने लगा। उसके बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसके बाद हम दोनों ने जम कर चुदाई की, वो अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी और मैं भी उसे जोर-शोर से चोद रहा था। उसके बाद हम दोनों के प्रेम की धारा एकसाथ छुट गई और हम एकदूसरे को बाहों में लेकर सो गये।
आधे घंटे बाद जब उसने मुझे उठाया तो मेरा फिर से खड़ा हो गया और उसको भी इच्छा हो गई थी तो हम लोग फिर से चुदाई में खो गये पर इस बार न तो कोई दर्द न ही चीखना, सिर्फ मजा ही मजा लिया एक दूसरे ने !
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने, ठीकठाक हुए और एक दूसरे को चूमा। उस वक़्त भी उसकी मांग में मेरा सिंदूर था।
मैंने उसे चूम कर 'आई लव यू माय वाइफ' कहा तो उसने भी 'आई लव यू टू माय हसबंड' कहा और उसके बाद में उसे उसके घर छोड़ने निकाल पड़ा।
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उसके एक महीने के बाद एक दिन अचानक वो मेरी कॉलेज के बाहर मिली तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसके साथ एक दूसरी लड़की थी, वो भी उस सेमिनार में थी। उसने मुझसे बात की और बाद में मेरी और वैदेही की दोस्ती हो गई। वैसे तो मैं उसे शुरु से ही चाहने लगा था पर कह नहीं पाया था।
एक दिन बड़ी मुश्किल से मैंने उसके सामने अपने प्यार का इजहार किया कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ पर उसने मना कर दिया और कहा कि यह नामुमकिन है।
बाद में मैंने उसे बहुत तरीकों से यह बताना चाहा कि मैं उसे सच्चा प्यार करता हूँ। आखिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि वो भी मुझे चाहने लगी है पर घर की स्थिति की वजह से वो डर रही है।
पर बाद में धीरे धीरे हम दोनों के प्यार का रंग एक-दूजे पर चढ़ने लगा और हम लोग बहुत करीब आ गये।
एक दिन एक बाग़ में मैंने उसे उसके चहेरे को पकड़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हम लोग एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। हम दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते थे, उस दिन से हम जब भी मिलते तो हम लोग चुम्मा-चाटी करते।
एक दिन एक पिक्चर के शो में मैंने उसके होंठ चूमते चूमते उसके गालों को चूमा बाद में गले पर आ गया और बाद में उसकी छाती पर आया, तब उसने एक टॉप पहना था तो उसने उस टॉप के बटन खोल दिए और उस वक़्त पहली बार मैंने उसके बोबे चूसे। उसको बहुत मजा आया।
उसके बाद मैं जब भी उससे मिलता तो उसके बोबे बहुत दबाता था।
एक बार जब मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने उसे अपने घर पे बुलाया और उसके अन्दर आते ही हम दोनों एकदूसरे में खो गये। बहुत चुम्मा चाटी और बोबे दबाना हुआ। फिर मैं उसको पलंग पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों में ही सेक्स करने लगा। उस समय मैंने अपने चड्डी में ही अपना माल निकाल दिया। उसके बाद हम दोनों नजर नहीं मिला सके पर उसके बाद हमारा प्यार और दोगुना हो गया।
उसके बाद जब उसका जन्मदिन आया तो मैंने उसे मिलने की योजना बनाई पर कुछ और काम आ जाने से उस दिन मैं नहीं मिल सका पर उसके दूसरे ही दिन मुझे मौका मिल गया। मेरे घर के सभी लोग बाहर जा रहे थे तो मैंने उसे अपने घर पर बुला लिया और साथ में यह भी कहा- मैं तुम्हें साड़ी में देखना चाहता हूँ।
तो थोड़ी ना-नुकर करने के बाद वो आई और अपने साथ एक बैग में साड़ी भी लेकर आई। उसके आते ही मैं उसे प्यार करने लगा और चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। बाद में वैदेही बोली- चलो अब मैं तुम्हारी पत्नी बन जाऊँ।
तो मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ जरूर !
वो उठ कर बाथरूम चली गई और दस मिनट बाद वो साड़ी पहन कर बाहर आई तो मैं उसे देखता ही रह गया। खुले बालों के साथ लाल साड़ी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैं तो उसे देखता ही रह गया, वो सचमुच में कमाल लग रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या मैं तुम्हारी मांग भर दूँ?
तो उसने शरमाते हुए हाँ कहा।
मैंने थोड़ा सिंदूर लेकर उसकी मांग में भर दिया और उसे अपनी बाहों में ले लिया।
तब उसने मुझसे कहा- राज, मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करने लगी हूँ, प्लीज़ मुझे अपनी पत्नी बना लो।
मैं उसे वहाँ से अपने कमरे में ले गया और अपने साथ अपने पलंग पर बिठाया और उसके होंठों को प्यार से चूसने लगा। वो भी उसमें मेरा साथ देने लगी। मैं उसे चूमते हुए अपने एक हाथ से उसके बोबे दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसे पलंग पर लिटाया और प्यार करने लगा।
वो धीरे धीरे गएम होने लगी थी। जब मैंने अपनी शर्ट उतार दी तो वो मुझे बेतहाशा चूमने लगी और कहने लगी- राज, मुझे प्यार करो ! बहुत ज्यादा प्यार करो !
फिर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी तो वो सिर्फ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में रह गई। वो बहुत शरमा रही थी तो मैंने उसे चूम लिया और पूछा- क्या मैं इसके आगे कुछ करूँ?
तो उसने हाँ कर दी और मैंने उसका ब्लाऊज़-पेटिकोट निकाल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी। मैं उसको देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और उसे खूब चाटने और चूसने लगा। मैंने उसकी ब्रा निकाल दी तो दो उन्नत बोबे बाहर आये।
उसने कहा- ये लो अपने मेहनत का फल ! इतने बड़े आपने ही किये हैं।
उसकी यह बात सुनकर मैं उसके उरोज दबाने और चूसने लगा। फ़िर मैं उसके पेट को चूमता हुआ पेंटी तक आया और उसके ऊपर से ही वहाँ एक चुम्बन किया। उसमें से क्या खुशबू आ रही थी यार ! मैंने जल्द ही पेंटी हटा दी तो उसमें से एक प्यारी सी गुलाबी चूत के दर्शन हुए।
वैदेही उस समय बहुत शरमा रही थी तो मैं झट से चूत को चाटने और चूमने लगा तो वो बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई और मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने भी बड़े प्यार से उसकी चूत को चाटा और चूमा, और वो झड़ गई।
उसका सारा पानी मैंने चाट लिया।
मैं जब वहाँ से खड़ा हो रहा था तो उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी। तो मैंने अपना पेंट और अण्डरवीयर नीचे कर दिया तो उसने झटके से मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी। तो मैंने अपना लंड उसके होंठों पर रखा, तुरंत ही उसने उसको बड़े प्यार से चूमा और चूसने लगी। उसने बहुत देर तक चूसा और उसके बाद मैंने उससे कहा- चलो, अब पति पत्नी वाला काम करें !
तो वो तुरंत मान गई। मैंने उसे सीधा लिटाया और उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो चिल्लाने लगी और दर्द से कराहने लगी।
मैंने उसे प्यार से समझाया और चुम्बन करने लगा। उसके थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने पूरा जोर लगाते हुए उसके मुँह को अपने मुँह से बंद किया और एक तगड़ा झटका मारा और मेरा लंड मेरी वैदेही की चूत की जिल्ली फाड़ कर पूरा उसमें समा गया।
वो रोने लगी थी और कराह भी रही थी पर मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा और बाद में जब उसे थोड़ा ठीक लगने लगा तो मैं धीरे धीरे उसे झटके मारने लगा। उसके बाद उसे भी मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसके बाद हम दोनों ने जम कर चुदाई की, वो अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी और मैं भी उसे जोर-शोर से चोद रहा था। उसके बाद हम दोनों के प्रेम की धारा एकसाथ छुट गई और हम एकदूसरे को बाहों में लेकर सो गये।
आधे घंटे बाद जब उसने मुझे उठाया तो मेरा फिर से खड़ा हो गया और उसको भी इच्छा हो गई थी तो हम लोग फिर से चुदाई में खो गये पर इस बार न तो कोई दर्द न ही चीखना, सिर्फ मजा ही मजा लिया एक दूसरे ने !
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने, ठीकठाक हुए और एक दूसरे को चूमा। उस वक़्त भी उसकी मांग में मेरा सिंदूर था।
मैंने उसे चूम कर 'आई लव यू माय वाइफ' कहा तो उसने भी 'आई लव यू टू माय हसबंड' कहा और उसके बाद में उसे उसके घर छोड़ने निकाल पड़ा।
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