लेखक : नवीन सिंह
आज मैं आपके सामने एक सच्ची कहानी ले कर आया हूँ।
आज मैं आपके सामने एक सच्ची कहानी ले कर आया हूँ।
क्या कोई पति
अपनी पत्नी को
किसी और से
चुदते हुआ देखना
चाहेगा?
नहीं ना !
पर ऐसा हुआ
है !
मैं आज आपको
ऐसी ही एक
कहानी बताने जा
रहा हूँ !
मेरा नाम नवीन
है, मैं 29 साल
का विवाहित पुरुष
हूँ मेरी बीबी
की उम्र 27 साल
है। मैं राजस्थान
में एक छोटा
कस्बे झोटवाड में
रहता हूँ।
मेरी शादी को
चार साल हो
गए हैं, मेरा
वैवाहिक जीवन बहुत
मस्त चल रहा
है, मेरी पत्नी
सुजाता मुझसे बहुत खुश
है और मैं
उसके साथ बहुत
खुश हूँ !
मेरा एक दोस्त
रचित भी मेरी
ही उम्र का
है। वह मेरा
परम मित्र है।
रचित हमेशा सेक्स
की बात के
लिए उतारू रहता
है। हमारे जीवन
की कोई बात
एक दूसरे से
छुपी हुई नहीं
है, हम रात
को क्या क्या
किया, एक दूसरे
को बताते हैं
तो जाहिर सी
बात है कि
सेक्स की बात
भी खुल कर
ही होती है।
उसको मेरी पत्नी
की बदनाकृति पता
है, मुझे उसकी
पत्नी बबिता की
कि उसके कहाँ
तिल है और
मेरे बीबी के
कहाँ क्या है,
उसको पता है।
इतनी तक हम
लोग बात एक
दूसरे को बताते
हैं। इन बातों
से हम उतेजित
भी हो जाते
हैं जाहिर सी
बात है।
घर की मुर्गी
दाल बराबर ! यह
कहावत तो सबने
सुन ही रखी
है।
एक दिन बात
बात में रचित
मुझे से बोला-
यार नवीन, मैं
हमारी सब बात
बबिता को बताता
हूँ ! उसको तुम्हारी
सेक्स की बात
सुन कर ज्यादा
नशा होता है
और कहती है
कि नवीन भैया
की तरह तुम
भी मुझे चोदो
ना ! तुमने मुझे
नवीन भैया की
सेक्स की बातें
सुना सुना कर
ज्यादा सेक्सी बना दिया
है यार !
रचित अपनी बीवी
की कहानी सुनाने
लगा, वो ज्यादातर
तुम्हारे लण्ड के
बारे में बात
करती है, मैंने
तुम्हारे लण्ड का
आकार बबिता को
बताया है।
मैंने बीच में
बात काटी, बोला-
यार रचित, तुम
भी क्या करते
हो? मुझे अब
बहुत शर्म आ
रही है, भाभी
क्या सोचती होगी
मेरे बारे में
कि मेरा लिंग
इतना बड़ा नहीं
है। तुमने ऐसा
क्यों किया यार?
और क्या-क्या
बताया है तुमने?
मुझे अब भाभी
के सामने जाने
में ही शर्म
आएगी।
"अरे नहीं यार
! नवीन, वो तो
तुम्हारे छोटे लण्ड
की बात करती
है, कहती है
कि कितना प्यारा
होगा न नवीन
भैया का ? क्या
तू उसके साथ
सेक्स करना चाहेगा?"
एकदम रचित ने
यह बात कह
दी।
मैं हतप्रभ रह गया
कि यह क्या
बात कर रहा
है। मैं कुछ
नहीं बोला।
"क्या
सोच रहा है
नवीन? उसे तेरे
लण्ड में रूचि
है, तो अगर
तू कहे तो
मैं बात करूँ
उससे? वैसे वो
एक बार में
ही मान जाएगी,
ऐसा मुझे यकीन
है, क्यूंकि हमारी
बात होती ही
रहती है। तुम्हारे
और सुजाता भाभी
के सेक्स की
बात के साथ
ही हम लोग
सेक्स करते हैं
और हमें मजा
ऐसे ही आता
है।" रचित ने
कहा।
मैं सोच में
पड़ गया कि
क्या कहना चाहिए
मुझे, हाँ या
ना !
मैंने कहा- यार
रचित, अभी नहीं,
मैं तुझे कल
जवाब देता हूँ।
ऐसा मैंने कहा और
बात का विषय
बदलने का प्रयास
करने लगा। पर
जैसे उसको अपनी
पत्नी का मेरे
साथ सेक्स करवाने
में मजा आ
रहा था। वो
उस बात से
नहीं हटा। "यार
नवीन, बता ना?
मेरी ख़ुशी के
लिए ही हाँ
भर दे यार
!" जब उसने ऐसा
कहा तो मैंने
हाँ भर दी।
अगर मैं तुमको
फ़ोन लगाऊँ तो
तुम आ सकते
हो ना? वैसे
हमारे घर एक
दूसरे के घर
से ज्यादा दूर
नहीं थे तो
कभी आया जा
सकता था।
मैंने हाँ भर
दी। सुजाता हमारे
बीच कभी नहीं
आती थी, उसको
पता है कि
हमारी दोस्ती क्या
है।
खैर रात करीब
11.30 पर रचित का
फ़ोन आया, मैंने
उठाया तो वो
बोला- मैदान साफ
है यार ! आ
जा ! आज बहुत
मजे करेंगे।
वैसे मेरे बीवी
ने रचित की
आवाज सुन ली
थी, वो बोली-
क्या कह रहे
थे रचित भैया?
क्या कार्यक्रम है?
मैं ऐसे ही
बात को टालते
हुए कपड़े पहनने
लगा, मैंने कहा-
मैं आता हूँ
अभी रचित के
यहाँ से होकर।
वो बोली- क्या हुआ?
कोई बात?
मैंने कहा- नहीं
यार, थोड़ी बात
करने के लिए
उसने बुलाया है
और थोड़ी देर
में आकर सब
बताता हूँ।
मैंने बात को
सँभालते हुए कहा
और मैं बाहर
ताला लगा कर
चला गया। वहाँ
गया तो दोनों
ने मेरा बड़ी
गर्मजोशी के साथ
स्वागत किया। फिर हमने
थोड़ा ड्रिंक किया।
अक्सर हम चारों
साथ बैठ कर
पीते है तो
कोई बड़ी बात
नहीं होती है।
भाभी बोली- अरे क्या
भैया, सुजाता को
नहीं लाये?
मैंने कहा- नहीं,
वो सो रही
है तो मैं
ही आ गया।
मैंने बात को
घमाते हुए कहा
और तीन चार
पैग लगा कर
मैंने कहा- अच्छा
रचित, अब मैं
चलता हूँ, बहुत
रात हो गई
है।
तो रचित बोला-
यार चल ना
बेडरूम में, कोई
मूवी देखते हैं।
मैं सारी योजना
तो समझ रहा
था पर अनजान
बनते हुए मैंने
कहा- नहीं यार,
फिर कभी ! आज
तो बहुत रात
हो गई है।
इतने में भाभी
बोली- क्या बात
भैया आज बहुत
जल्दी है? ये
कह रहे हैं
तो रुक जाओ
ना।
मैं रुक गया।
उसने मूवी लगा
दी, सेक्सी थी
मूवी !
भाभी कुछ खाना
लेने गई थी,
वो अचानक आ
गई, वो बोली-
क्या कर रहे
हो तुम दोनों
यह?
अनजान बनते हुए
साफ उनके चहरे
से दिख रहा
था, पर मुझे
शर्म आ गई।
"अरे डार्लिंग ! आओ न
! तुम भी देखो,
मजा लो !"
मूवी में काफी
अच्छा दृश्य चल
रहा था। एक
आदमी के साथ
तीन लड़कियाँ थी,
चारों मजा कर
रहे थे।
यह देख कर
भाभी की आह
निकल गई और
रचित ने उनका
हाथ पकड़ कर
अपनी बगल में
बिठा लिया। थोड़ी
देर बाद वो
उनके चूचों को
दबाने लगा।
भाभी बोली- क्या कर
रहे हो? नवीन
भैया यहाँ हैं,
तुम भी ना
!
रचित बोला- यार नवीन
देखो ना, तुम्हारी
भाभी की कैसी
चूचियाँ हैं छोटी-छोटी ! मुझे ज्यादा
मजा नहीं आता
है यार ! तुम
इस मामले में
किस्मत वाले हो
! सुजाता भाभी के
बहुत अच्छे हैं
यार !
मैंने कहा- तुमने
कब देख लिए?
वो बोला- नहीं, तुमने
जैसा बताया, उससे
बोल रहा हूँ
और यूँ भी
तो पता लग
ही जाता है
यार ! तू भी
ना ! चल तुझे
छोटी चूचियाँ अच्छी
लगती हैं तो
ले, मेरे बीवी
के साथ मजा
कर ले, ले
दबा ले इसकी।
मुझे बड़ी शर्म
आ रही थी
और वो बहुत
सहज भाव से
यह बात करता
जा रहा था
!
भाभी भी बोली-
क्या बात कर
रहे हो रचित
तुम?
वो बोला- यार, अब
नाटक मत करो,
तुम दोनों को
पता है कि
क्या हो रहा
है और तुम्हें
एक दूसरे में
रुचि भी है
तो फिर क्यों
समय ख़राब करते
हो?
और मेरा हाथ
पकड़ कर भाभी
के वक्ष पर
रख दिया, खुद
उठ कर उधर
दूसरी तरफ चला
गया। अब हम
दोनों के बीच
में भाभी थी,
एक चूची रचित
दबा रहा था
और एक मैं
दबा रहा था।
वो बोला- अब ऐसे
मजा नहीं आ
रहा है !
और वो भाभी
को नंगा करने
लगा, मैंने भी
उसका सहयोग किया।
अब मेरा भी
लिंग खड़ा हो
गया था, आखिर
दूसरी औरत का
मजा लेने का
मौका और वो
भी उसके पति
के सामने ऐसा
अनुभव तो बड़ा
रोमांचक होता है।
मेरे सामने अब भाभी
पूरी नंगी थी,
मुझे बहुत मजा
आ रहा था।
रचित खुद काफी
रोमांचित हो रहा
था, मुझे सब
कुछ सपने जैसा
लग रहा था।
मैं और जोश
से भाभी के
स्तन दबा रहा
था और उनको
मुँह में लेकर
चूसता भी जा
रहा था।
भाभी बहुत उत्तेजित
हो गई, वो
कहने लगी- अब
नहीं सहा जाता
है अब आ
भी जाओ नवीन
भैया ! एक बार
दर्शन तो करा
दो अपने लिंग
के !
मैंने जल्द ही
अपने सारे कपड़े
उतार दिए। भाभी
मेरा लिंग देख
कर काफी उत्तेजित
हो गई और
उसे मुँह में
ले लिया।
रचित बोला- अरे यह
क्या? मेरा लेने
में तो नाटक
करती है और
इसका बड़े मजे
से? क्या बात
है यार?
"अरे,
तुम नहीं जानते,
नवीन भैया के
लिंग की कहानी
तुमने सुना सुना
कर मुझे बहुत
परेशान का रखा
था, आज जब
मेरे सामने खुद
आ गया है
तो यह तो
क्या, मैं इसको
चोदूंगी। मैं तुम्हारे
साथ भी करुँगी,
पहले मेहमान का
तो स्वागत कर
लूँ।"
"हाँ-हाँ ! क्यों नहीं
यार ! मैं तो
मजाक कर रहा
था।" रचित बोला।
और भाभी ने
इस कदर मेरे
लण्ड के साथ
खेल किया कि
मैं ज्यादा देर
तक मैदान में
नहीं टिक सका
और मैं बोला-
भाभी, मैं झड़ने
वाला हूँ, हटा
लो अपना मुँह
!
भाभी कुछ नहीं
बोली और करती
रही।
मैं बोला- अब नहीं
रुका जाता है
भाभी ! आह...
रचित बोला- यार हो
जाने दे, उसको
यह सब बहुत
अच्छा लगता है।
मेरे साथ भी
कभी कभी ऐसा
ही करती है
यह !
मैं भाभी के
मुँह में झड़
गया। भाभी ने
मेरा सारा वीर्य
अंदर उतार लिया
और बोली- बहुत
अच्छा है नवीन
भैया का तो
! मजा आया ! आज
बहुत मजा आया
! आओ अब तुम्हारा
भी चूसती हूँ
!
और भाभी ने
रचित का मुँह
में लेकर एक
दो बार ही
किया था कि
रचित भाभी के
मुँह में ढेर
हो गया। भाभी
ने उसका भी
वीर्य अंदर गटक
लिया।
भाभी मेरे लिंग
को देख रही
थी- यार रचित,
कितना बढ़िया है
ना नवीन भैया
का लिंग?
रचित बोला- तुम तो
मना कर रही
थी? तो कैसे
देख पाती इसका
यह रूप> तब
हम फिर सेक्सी
मूवी देखने में
लग गए, फिर
से मेरा कड़क
हो गया।
भाभी ने मेरा
लिंग अपने हाथ
में लिया हुआ
था तो उनको
अहसास हो गया-
रचित देखो, तुम
तो अभी तक
ऐसे ही पड़े
हो, नवीन भैया
तो फिर से
तैयार हो गए
हैं।
और इतना बोल
कर उसने फिर
से मेरे लिंग
को मुँह में
ले लिया, मैंने
उसकी चूत को
सहलाना शुरू कर
दिया।
वो बोली- अब इसका
नम्बर है क्या?
मैंने कहा- हाँ
भाभी, अब चूत
का मजा लेने
दो !
मैं अब खुल
चुका था !
मैंने भाभी को
लिटाया और अंदर
डाल दिया।
भाभी बोली- वाह, क्या
अच्छा है तुम्हारा
लिंग, दर्द भी
नहीं हुआ और
कितना प्यारा अहसास
हो रहा है।
इनका तो मुझे
ज्यादा अच्छा नहीं लगता।
रचित, बुरा मत
मानना पर अब
मैं कभी कभी
नवीन भैया के
साथ सेक्स करुँगी।
रचित बोला- मेरे जान
मैं तो यही
चाहता हूँ कि
तुम रोज ही
मेरे सामने इसके
साथ सेक्स करो
और मैं तुम
दोनों को ऐसे
ही देखता रहूँ
! मुझे तुम्हारी ख़ुशी चाहिए
मेरी जान !
अब मैंने थोड़ी गति
बढ़ा दी तो
भाभी बोली- क्या
बात है भैया,
कहीं जाना है
क्या? थोड़ी देर
तक तो रुको,
अंदर होने का
मजा तो लेने
दो !
अब रचित ने
भी हाथ से
हिला कर खड़ा
कर लिया था
वो भी अब
जोश मे आ
गया था। उसने
अपना लंड भाभी
के मुँह में
डाल दिया और
बोल- यार बबिता,
मेरा बरसों का
सपना था कि
तुम ऐसे मेरे
सामने दूसरे से
चुदो और मैं
बस ऐसे मजा
करूँ तुम्हारे मुँह
में डाल कर
!
भाभी बोली- क्यों नवीन
भैया, एक बात
बोलूँ? अगर तुम
बुरा न मानो
तो !
मैंने कहा- बोलो
भाभी, मैं तुम्हारी
बात का कैसे
बुरा मान सकता
हूँ? वैसे एक
सच बताऊँ भाभी,
मैं सुजाता को
चोद चोद कर
बोर हो चुका
था ! जैसे मेरा
तुम्हारे सामने थोड़ी देर
में दो बार
खड़ा हो गया
न, ऐसे मेरा
कभी सुजाता के
सामने नहीं होता
है।
बीच में बात
काट कर रचित
बोला- अरे क्या
बात करता है
यार नवीन? सुजाता
भाभी का क्या
बदन है यार
! क्या चीज है
यार वो ! आई
लव हर !
भाभी बीच में
बात काट कर
बोली- यार नवीन
भैया, क्यों न
हम चारों साथ
में सेक्स करें?
ये तुम्हारी बीवी
को और तुम
मुझे ! कितना मजा आएगा।
मैं घबरा गया,
मैंने कहा- यार
रचित, सुजाता नहीं
मानेगी। मुझे नहीं
लगता कि वो
मानेगी।
"अरे,
तुम चिंता मत
करो !" भाभी बोली,"मैं उसको
मना लूंगी ! मैं
जानती हूँ कि
वो कितना पसंद
करती है इनके
लण्ड को !"
मैंने कहा- मतलब?
तो भाभी बोली-
जैसे तुम दोनों
दोस्त आपस मे
बात करते हो,
कोई बात नहीं
छुपाते हो, ऐसे
ही हम दोनों
भी तो सहेलियाँ
हैं न, तो
हम भी तुम्हारे
लंड के बारे
में बात करते
हैं और मैं
तुम्हारे लण्ड की
बात सुनती थी,
दो-दो बार,
एक तो सुजाता
से और एक
इनके मुँह से
! तो मेरा क्या
हाल होता था
आप जान ही
सकते हैं। मुझे
आपका लण्ड इतना
प्यारा लगा कि
कभी मुँह से
न निकालूँ और
जब भी तुम्हारा
वीर्य निकले तो
उसको अपने मुँह
में ले लूँ
बस ! और मैंने
सुजाता की भी
ऐसे ही तड़प
देखी है। अगर
तुमको यकीन न
हो तो आज
बात करके देखना,
वो ज्यादा न-नुकर नहीं
करेगी और इनके
लंड के बारे
में बात करने
लगेगी।
"वैसे
भाभी, मैंने भी
बात की हुई
है रचित के
लण्ड के बारे
में ! बात तो
वो बहुत ही
ध्यान से सुनती
है और आगे
कुछ पूछती भी
है पर मुझे
कभी ऐसा नहीं
लगा कि वो
इससे चुदना चाहती
है।" मैंने बताया।
बीच में बात
काट कर रचित
बोला- अरे क्या
बात करता है
यार नवीन? सुजाता
भाभी का क्या
बदन है यार
! क्या चीज है
यार वो ! आई
लव हर !
भाभी बीच में
बात काट कर
बोली- यार नवीन
भैया, क्यों न
हम चारों साथ
में सेक्स करें?
ये तुम्हारी बीवी
को और तुम
मुझे ! कितना मजा आएगा।
मैं घबरा गया,
मैंने कहा- यार
रचित, सुजाता नहीं
मानेगी। मुझे नहीं
लगता कि वो
मानेगी।
"अरे,
तुम चिंता मत
करो !" भाभी बोली,"मैं उसको
मना लूंगी ! मैं
जानती हूँ कि
वो कितना पसंद
करती है इनके
लण्ड को !"
मैंने कहा- मतलब?
तो भाभी बोली-
जैसे तुम दोनों
दोस्त आपस में
बात करते हो,
कोई बात नहीं
छुपाते हो, ऐसे
ही हम दोनों
भी तो सहेलियाँ
हैं न, तो
हम भी तुम्हारे
लण्ड के बारे
में बात करते
हैं और मैं
तुम्हारे लण्ड की
बात सुनती थी,
दो-दो बार,
एक तो सुजाता
से और एक
इनके मुँह से
! तो मेरा क्या
हाल होता था
आप जान ही
सकते हैं। मुझे
आपका लण्ड इतना
प्यारा लगा कि
कभी मुँह से
न निकालूँ और
जब भी तुम्हारा
वीर्य निकले तो
उसको अपने मुँह
में ले लूँ
बस ! और मैंने
सुजाता की भी
ऐसे ही तड़प
देखी है। अगर
तुमको यकीन न
हो तो आज
बात करके देखना,
वो ज्यादा न-नुकर नहीं
करेगी और इनके
लण्ड के बारे
में बात करने
लगेगी।
"वैसे
भाभी, मैंने भी
बात की हुई
है रचित के
लण्ड के बारे
में ! बात तो
वो बहुत ही
ध्यान से सुनती
है और आगे
कुछ पूछती भी
है पर मुझे
कभी ऐसा नहीं
लगा कि वो
इससे चुदना चाहती
है।" मैंने बताया।
"यार नवीन भैया,
तुम भी ना
! कोई भी औरत
ऐसा अपने मुँह
से अपने पति
से नहीं कह
सकती है कि
मैं उस आदमी
से चुदना चाहती
हूँ, जैसे मैं
तुमसे चुदना चाहती
थी पर मैंने
कभी इनको अहसास
नहीं होने दिया
कि मैं क्या
चाहती हूँ, वैसे
इनका भी ऐसा
मन था कि
मैं किसी दूसरे
मर्द के साथ
भी सेक्स का
मजा लूँ तो
ऐसा अपने आप
ही हो गया
नहीं तो ऐसा
हो पाना मुश्किल
था। तुम भी
जानते हो ना
!
[ Tags : Mere Dost Ki Biwi Ki Chudai, Dost Ki Biwi Ko Choda, Desi Laila Ki Chudai, Pati Ke Samne Chudwai, Adult Story, Desi Chudai Ki Kahaniya ]
1 comments:
Ye kahani padhkar maine two times apni muth maar li :P
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